मध्यप्रदेश में न्यायिक प्रक्रिया को डिजिटल और अधिक प्रभावी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। अब राज्य में वारंट और समन जैसी महत्वपूर्ण न्यायिक सूचनाएं व्हाट्सएप, ई-मेल, और टेक्स्ट मैसेज के माध्यम से भेजी जा सकेंगी। इस पहल का मुख्य उद्देश्य न्यायिक प्रक्रियाओं को तेज, सुगम, और अधिक पारदर्शी बनाना है, जिससे न्याय पाने में समय की बचत हो और त्वरित न्याय सुनिश्चित हो सके।
इस नए नियम के अंतर्गत अब समन और वारंट को ऑनलाइन माध्यम जैसे व्हाट्सएप, ई-मेल, और टेक्स्ट मैसेज के द्वारा भेजे जाएंगे और उनको तामील माना जाएगा। इस तरह की आधुनिक पहल करने वाला मध्यप्रदेश ऐसा पहला राज्य बन गया है। इसको लेकर गृह विभाग ने नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें मध्यप्रदेश सरकार ने इस नए कानून नियम को बनाने के लिए डेढ़ महीने का समय लिया था। जिसके अनुसार अब कोर्ट सीधे समन और वारंट को जारी कर देगा। ई-मेल के द्वारा भेजे गए समन और वारंट की तामील तब माना जाएगा, जब तक ई-मेल बाउंस बैक नहीं होता है।
पुराने नियमों के द्वारा इनको भेजे जाएंगे समन
इसका साफ मतलब है कि यदि ई-मेल डिलीवर होता है, तो समन या वारंट को तामील माना जाएगा। लेकिन इस नए नियम उन लोगों के लिए नहीं होगा जो ई-मेल, फोन नंबर, या मैसेजिंग एप्लिकेशन का इस्तेमाल नहीं करते हैं। ऐसे लोगों को पारंपरिक तरीके द्वारा ही नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा और संबंधित थाने के स्टाफ को समन या वारंट की तामील करवाएगा।
कैसे जारी हुआ नया नियम
बता दें कि गृह विभाग ने इस नए नियम को लागू करने के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी किया है। इस नई पहल के जरिए न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आने की उम्मीद की जा रही है और साथ ही डिजिटल युग में न्याय व्यवस्था को और सशक्त बनाने की दिशा में भी यह एक महत्वपूर्ण कदम है। इस नए नियम की सहायता से न्यायिक प्रक्रियाओं में समय और संसाधनों की बचत होगी, इसके साथ ही अदालती आदेशों की तामील अधिक प्रभावी ढंग से की जाएगी।