नई दिल्ली: राजस्थान के सीकर जिले में रहने वाले किसान इंद्राज बाजिया के घर ऐसी बेटी ने जन्म लिया था जो जन्म से ही बिंकलाग थी। भगवान की ऐसी देन को देख पहले पिता इंद्राज को काफी गुस्सा आया, लेकिन आज यही बेटी उनकी बड़ी ताकत बनकर उभरी है।राष्ट्रीय से लेकर राज्य स्तरीय चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य सहित पांच पदक जीतने वाली तनीषा आज उन उम्मीदो पर खरी उतरी है जिसे कर पाना हर किसी के लिए असान नही हैं। और फिर जब कोई बिकलागं हो, उसके लिए तो यह पहाड़ लांघने के बराबर की चुनौती है।
लेकिन तनिषा ने अपनी बिकलांगता को कभी आड़े नही आने दिया। वो समान्य लोगों की तरह पढ़ाई करती और अपने लक्ष्य़ तक पंहुचने के लिए दिन-रात मेहनत करती थी। जिसके हर कदम में उनके पिता एक सहारा बने खड़े मिलें। अपनी इस बेटी की वजह से उसके पिता इंद्राज को उसपर गर्व हो रहा है। तनिषा ने अपने लक्ष् तक पहुचने की पहली शुरूआत बेंगलुरु में आयोजित 13वीं राष्ट्रीय सब-जूनियर पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशि से की, जिसमें सिल्वर मेडल जीतकर यह बता दिया कि मंजिल पाने के लिए कमजोरी को सामने कभी नही लाना चाहिए।
स्कर्ट में लगवाई थी एक अतिरिक्त जेब
एक समय ऐसा भी था जब तनीषा बाजिया के लिए उसके हाथ का ना होना एक बड़ी कमजोरी थी। और इसी कमजोरी को उसने 12 साल तक दुनिया से छुपाकर रखा था। लेकिन पिता की मेहनत और उनके सपोर्ट ने उसे ऐसी ताकत दी वो देश दुनिया में पहचाने जाने लगी। तनीषा बताती हैं, ‘मेरा बायां हाथ हमेशा मेरी स्कर्ट की जेब में रहता था। मैं अपनी विकलांगता को छिपाती थी, ताकि कोई मुझ पर हंसे नहीं।’
टेन-पिन बॉलिंग में जीता गोल्ड मेडल
तनीषा की जिंदगी में बदलाव तब आया, जब वो खेलों से जुड़ी। और पिछले साल तनीषा ने बेंगलुरु में राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में टेन-पिन बॉलिंग में हिस्सा लेकर गोल्ड मेडल हासिल किया।
महेश नेहरा और सरिता बावरिया ने प्रतिभा को पहचाना
तनीषा के अंदर छिपी कला को निखार देने के लिए महेश नेहरा और उनकी पत्नी सरिता बावरिया सामने आए, उन्होंने उसे दौड़ने में प्रेरित किया। इसके लिए दोनों ने मिलकर उसे हफ्ते में दो बार ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया। इसका अंजाम यह हुआ कि तनीषा ने एक साल में ही खुद को बेहतर साबित कर दिखाया।